राष्ट्रीय संत सेवा गौ रक्षा कल्याण परिषद की मूल प्रकृति सेवा है। अब इसकी स्थापना के पश्चात् शनैः शनैः अपने समाज के प्रति स्वाभाविक प्रेम तथा आत्मीयता के आधार पर विविध प्रकार के सेवा कार्यों का क्रमिक विकास किया जाना है.
"संसार का सम्बन्ध ‘ऋणानुबन्ध’ है। इस ऋणानुबन्ध से मुक्त होने का उपाय है – सबकी सेवा करना और किसी से कुछ न चाहना।"
"मनुष्य शरीर अपने सुख-भोग के लिये नहीं मिला, प्रत्युत सेवा करने के लिये, दूसरों को सुख देने के लिये मिला है।"
"सेवा परमो धर्मः"
इत्यादि अवधारणाओं के आधार पर परिषद द्वारा यह सम्पूर्ण सेवा कार्य समर्पित कार्यकर्ताओं के द्वारा अत्यल्प संसाधनों के बल पर संचालित किया जाएगा। समूचे भारतवर्ष में सेवा कार्यों का विस्तार किया जाएगा
परिषद द्वारा सेवा गतिविधियों का संचालन निश्चित उद्देश्य के अंतर्गत किया जाएगा –