सामाजिक समरस्ता का संदेश जन-जन पहुचाया महर्षि वाल्मीकि ने: परमहंस दाती महाराज
नई
दिल्ली 28अक्टूबर
प्राचीन वाल्मीकि
मंदिर पंचकुईया, मंदिर मार्ग पर स्थित में सर्व धर्म सम्भाव सभा का आयोजन वाल्मीकि
सत्संग शिक्षा केंद्र वाल्मीकि मंदिर ट्रस्ट के तत्वधान में व मंदिर के महंत श्री महामंडलेश्वर
कृष्णशाह विद्यार्थी जी के सान्निध्य में आयोजित हुई सभा की अध्यक्षता श्री श्री 1008 श्री शनिधाम
पीठाधीश्वरमहामंडलेश्वर परमहंस स्वामी निजस्वरूपानन्दपुरी
(दाती महाराज) की और श्री दिनेश चन्द्र जी भाई जी मुख्य सरक्षक विश्व हिंदू परिषद्
मुख्य अतिथि की उपस्थित में सर्व धर्म सम्भाव सभा का आयोजन किया गया जिसमे लगभग सभी धर्मो के धर्माचार्य भाग लिया मुख्यत
जैन धर्म से विवेक मुनि,इसाई धर्म से फादर बी डी थॉमस और सिख धर्म
से नामधारी जथे वालो उपस्थित रही वही मुख्य अतिथि श्री दिनेश चन्द्र जी ने कहा कि
भगवान महर्षि वाल्मीकि जी प्रकटोत्सव उत्सव के अवसर पर भगवान वाल्मीकि तो ब्रह्म
ज्ञानी थे वो ब्रह्म आनंद में हर समय दुबे रहने वाले ब्रह्म का जो कुछ भी इस सर्ष्टि
में है उस सबका उनको अंतर मुख में चिंतन मनन ये सब करते रहने वाले बहुत शांत मन
में कम से कम बोलने वाले अपार समता वाले व तिर्काल द्रष्टि थे| इस अवसर पर परमहंस
दाती जी महाराज ने सभा को संबोधित करते हुए कहा की भगवान महर्षि वाल्मीकि जी के
जीवन का संदेश अपने जीवन में उतारना और उन्हें जन-जन तक पहुंचाना आज के समय की
सबसे बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने सम्प्रदाय और जाति से दूर सभ्य समाज की परिकल्पना
दी हमें भगवान राम के आचरण एवं समाज के प्रति समरसता एवं प्रेम भाव को अपने जीवन
में उतारना जरूरी है। कुछ लोग जाति का भेदभाव फैलाकर समाज में जहर घोलने का कार्य
कर रहे हैं। इसके पीछे बहुत बड़ा षड्यंत्र है, जिसको सर्व समाज को पहचानना होगा।
उन्होंने बताया कि महर्षि वाल्मीकि केवल रामायण के रचयिता ही नहीं बल्कि आदि कवि
भी हैं। इस अवसर पर महामंडलेश्वर हरिओम गिरी जी महाराज, श्रीमहंत कन्हिया गिरी जी
महाराज, श्रीमहंत भोलागिरी जी महाराज, श्रीमहंत विजय गिरी जी महाराज, श्रीमहंत
श्यामनाथ जी महाराज, महंत श्री सतीश दास जी महाराज, महंत श्री सूरज गिरी जी महाराज,
स्वामी गिरिजानंद सरस्वती जी महाराज कोतवाल जी, महंत श्री कमल गिरी जीहाराज, किन्नर
अखाड़े की महामंडलेश्वर भवानी शंकरनंद गिरी जी महाराज आदि उपस्थित थे